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सिबिल स्कोर ठीक है, तो भी लोन नहीं मिलेगा! जानिए क्या हैं वो 3 जरूरी नियम – CIBIL Score Tips

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CIBIL Score Tips – आजकल लोन लेना पहले के मुकाबले आसान हो गया है, लेकिन बैंक या फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन लोन देने से पहले आपकी फाइनेंशियल स्थिति को पूरी तरह से जांचते हैं। अक्सर लोग यह मानते हैं कि अगर उनका CIBIL Score अच्छा है, तो लोन आसानी से मिल जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं है। CIBIL Score लोन अप्रूवल के लिए जरूर महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके अलावा भी कई फैक्टर्स हैं जो यह तय करते हैं कि आपको लोन मिलेगा या नहीं।

अगर आप लोन लेने की सोच रहे हैं तो सिर्फ अच्छे CIBIL Score के भरोसे न बैठें। बैंक आपके लोन अप्रूवल से पहले कुछ और चीजें भी देखते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि किन बातों पर बैंक ज्यादा ध्यान देता है और लोन के लिए किन चीजों का ध्यान रखना जरूरी है।

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Debt-to-Income Ratio (DTI Ratio) भी होता है महत्वपूर्ण

DTI रेश्यो यानी डेब्ट-टू-इनकम रेश्यो यह दर्शाता है कि आपकी कुल मासिक आय का कितना हिस्सा मौजूदा लोन चुकाने में जा रहा है। बैंक इस रेश्यो को देखकर तय करता है कि आपकी वित्तीय स्थिति लोन चुकाने के लायक है या नहीं।

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DTI रेश्यो कैसे कैलकुलेट होता है

DTI = (मासिक लोन भुगतान / कुल मासिक आय) x 100

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उदाहरण के लिए, अगर आपकी मासिक सैलरी ₹50,000 है और आपके ऊपर पहले से ₹15,000 की मासिक EMI है, तो आपका DTI रेश्यो 30% होगा।

DTI रेश्यो कितना होना चाहिए

  • 40% से कम: बैंक इसे अच्छा मानते हैं और लोन अप्रूव करने की संभावना बढ़ जाती है।
  • 40% से 50%: कुछ बैंक इस रेश्यो तक लोन दे सकते हैं, लेकिन अधिक ब्याज दर लग सकती है।
  • 50% से ऊपर: लोन अप्रूवल के चांस कम हो जाते हैं।

अगर आपके ऊपर पहले से ज्यादा कर्ज हैं, तो आपका DTI रेश्यो बढ़ जाएगा, जिससे नए लोन के अप्रूवल में दिक्कत आ सकती है।

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EMI-to-Net Monthly Income Ratio (EMI/NMI Ratio) भी होता है जरूरी

जब भी आप लोन के लिए अप्लाई करते हैं, तो बैंक यह भी चेक करता है कि आपकी नेट मंथली इनकम (NMI) का कितना हिस्सा लोन की EMI चुकाने में जा रहा है। इसे EMI/NMI रेश्यो कहते हैं।

EMI/NMI रेश्यो कैसे तय होता है

  • 50% से कम: बैंक इसे सही मानता है और आसानी से लोन अप्रूव कर सकता है।
  • 50% से 55%: बैंक थोड़ा सोच सकता है लेकिन फिर भी लोन अप्रूवल संभव है।
  • 55% से ज्यादा: बैंक लोन देने से बचता है क्योंकि इससे आपकी फाइनेंशियल स्ट्रेंथ कमजोर मानी जाती है।

अगर आपके ऊपर पहले से कई लोन हैं और आप नई EMI जोड़ना चाहते हैं, तो बैंक आपकी अर्थिक स्थिरता का पूरा विश्लेषण करेगा।

Loan-to-Value Ratio (LTV Ratio) पर भी होता है ध्यान

अगर आप होम लोन या ऑटो लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो बैंक LTV रेश्यो पर भी ध्यान देता है।

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LTV रेश्यो क्या होता है

  • LTV रेश्यो बताता है कि बैंक आपको आपकी संपत्ति के मुकाबले कितना लोन दे रहा है।
  • उदाहरण के लिए, अगर आपकी संपत्ति की कुल कीमत ₹50 लाख है और बैंक आपको ₹40 लाख लोन दे रहा है, तो आपका LTV रेश्यो 80% होगा।

LTV रेश्यो कितना होना चाहिए

  • होम लोन के मामले में 75% से 90% तक का LTV बैंक स्वीकार कर सकते हैं।
  • अगर आपका LTV रेश्यो कम है, तो लोन अप्रूवल के चांस ज्यादा होते हैं।

CIBIL Score भी जरूरी, लेकिन अकेले काफी नहीं

बेशक CIBIL Score लोन अप्रूवल का सबसे अहम फैक्टर होता है। CIBIL स्कोर 300 से 900 अंकों के बीच होता है, और आमतौर पर 750 से ऊपर का स्कोर अच्छा माना जाता है। लेकिन सिर्फ अच्छा स्कोर होने से लोन मिल जाए, ऐसा जरूरी नहीं है।

अच्छा CIBIL स्कोर कैसे बनाए रखें

  • अपने सभी क्रेडिट कार्ड बिल और लोन EMI समय पर चुकाएं।
  • बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई न करें, इससे आपका स्कोर गिर सकता है।
  • अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग 30% से कम रखें, यानी अगर लिमिट ₹1,00,000 है, तो महीने में ₹30,000 से ज्यादा खर्च न करें।
  • अगर आपके ऊपर पहले से ज्यादा कर्ज है, तो नए लोन के लिए अप्लाई करने से बचें।

कैसे बढ़ाएं लोन अप्रूवल के चांस

  1. सिबिल स्कोर सुधारें: अगर आपका स्कोर 750 से कम है, तो पहले उसे सुधारने की कोशिश करें।
  2. DTI रेश्यो कम करें: ज्यादा लोन लेने से बचें और अपनी इनकम के हिसाब से EMI रखें।
  3. अच्छी सैलरी दिखाएं: अगर आप सेल्फ-एम्प्लॉयड हैं तो अपनी आय के सही दस्तावेज दिखाएं।
  4. बैंक स्टेटमेंट और फाइनेंशियल हिस्ट्री सही रखें: बैंक स्टेटमेंट में बार-बार ओवरड्राफ्ट या लो बैलेंस दिखने से लोन अप्रूवल में दिक्कत हो सकती है।
  5. संयुक्त (Joint) लोन का विकल्प चुनें: अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम है, तो आप अपने पति/पत्नी या माता-पिता के साथ ज्वाइंट लोन ले सकते हैं।

अगर आप लोन लेना चाहते हैं, तो सिर्फ CIBIL Score के भरोसे न रहें। बैंक आपकी आय, मौजूदा लोन, डेट-टू-इनकम रेश्यो और अन्य वित्तीय फैक्टर्स पर भी ध्यान देता है। अगर आप पहले से ही ज्यादा कर्ज में हैं या आपकी EMI इनकम के मुकाबले ज्यादा है, तो लोन अप्रूवल में दिक्कत आ सकती है।

इसलिए लोन लेने से पहले अपने फाइनेंशियल प्लानिंग को मजबूत करें, अपनी क्रेडिट हिस्ट्री सही रखें और बिना जरूरत के लोन लेने से बचें।

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Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।

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