Indian Currency – हम सभी भारतीय रुपये के नोटों से अच्छी तरह परिचित हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर कागज के बजाय प्लास्टिक के नोट चलन में आ जाएं तो क्या होगा? दरअसल, सरकार की ओर से इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा सकता है। हाल ही में वित्त राज्य मंत्री ने संसद में इस मुद्दे पर बयान दिया, जिससे यह अटकलें तेज हो गई हैं कि भविष्य में भारतीय मुद्रा के नोटों को प्लास्टिक में बदला जा सकता है।
प्लास्टिक नोट लाने की क्यों हो रही है चर्चा
अगर हम कागजी नोटों की बात करें तो वे पानी में भीगने, जल्दी फटने या खराब हो जाने जैसी कई समस्याओं के शिकार होते हैं। खासतौर पर पुराने और ज्यादा इस्तेमाल किए गए नोट बहुत जल्दी खराब हो जाते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में नुकसान भी होता है। ऐसे में प्लास्टिक के नोट एक बेहतर विकल्प साबित हो सकते हैं क्योंकि वे ज्यादा टिकाऊ होते हैं, जल्दी खराब नहीं होते और नकली नोटों को रोकने में भी मदद कर सकते हैं। कई देशों ने पहले ही इस तरह के नोटों को अपनाया है और अब भारत भी इस पर विचार कर रहा है।
क्या सरकार प्लास्टिक नोट लाने जा रही है
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से वायरल हो रही थी कि सरकार जल्द ही प्लास्टिक नोटों को लागू करने वाली है। इस मामले पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में एक बयान दिया और स्पष्ट किया कि सरकार ने अभी तक इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को प्लास्टिक नोटों के फील्ड ट्रायल की अनुमति दी गई थी।
कहां और कैसे होगा प्लास्टिक नोट का ट्रायल
केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में दिए गए जवाब के अनुसार, सरकार देश के पांच अलग-अलग स्थानों पर प्लास्टिक नोटों का परीक्षण करेगी। हालांकि, अभी तक यह तय नहीं किया गया है कि यह ट्रायल कब शुरू होगा और कितना समय चलेगा। शुरुआती चरण में केवल 10 रुपये के प्लास्टिक नोट जारी किए जाएंगे ताकि उनकी कार्यक्षमता और व्यवहारिकता को परखा जा सके।
क्या भारत में पहले भी प्लास्टिक नोट लाने की कोशिश हुई थी
अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो 2014 में ही यह घोषणा की गई थी कि भारत में प्लास्टिक नोटों को लाने की योजना बनाई जा रही है। उस समय यह भी कहा गया था कि इन नोटों को कुछ चुनिंदा शहरों में ट्रायल के तौर पर चलाया जाएगा। हालांकि, तब यह योजना पूरी नहीं हो सकी थी। अब एक बार फिर यह चर्चा में आ गई है, लेकिन अभी इस पर कोई ठोस फैसला नहीं हुआ है।
प्लास्टिक नोटों के फायदे और नुकसान
फायदे
- लंबे समय तक चलते हैं – प्लास्टिक नोट कागज की तुलना में ज्यादा टिकाऊ होते हैं।
- पानी और नमी से सुरक्षित – बारिश या गलती से पानी में गिरने पर भी खराब नहीं होते।
- नकली नोटों पर लगाम – इनकी सिक्योरिटी फीचर्स बेहतर होते हैं जिससे जाली नोटों को बनाना मुश्किल हो जाता है।
- पर्यावरण के लिए फायदेमंद – कागज के नोट जल्दी खराब होते हैं और बार-बार उनकी छपाई करनी पड़ती है जिससे पेड़ों की कटाई होती है।
नुकसान
- छपाई की लागत ज्यादा होती है – प्लास्टिक नोट बनाने में ज्यादा खर्च आता है।
- रिसाइकलिंग की समस्या – प्लास्टिक नोटों को रिसाइकल करना मुश्किल होता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान हो सकता है।
- समय के साथ मुड़ सकते हैं – कई देशों में यह देखा गया है कि ज्यादा इस्तेमाल से प्लास्टिक के नोटों पर सिलवटें पड़ सकती हैं, जिससे उनका आकार बिगड़ सकता है।
किन देशों में पहले से चल रहे हैं प्लास्टिक नोट
भारत अकेला ऐसा देश नहीं है जो प्लास्टिक नोटों को अपनाने की सोच रहा है। कई देशों में पहले से ही प्लास्टिक नोटों का चलन है और वे इस प्रयोग में सफल भी रहे हैं। इनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इंग्लैंड, रोमानिया, न्यूजीलैंड और वियतनाम जैसे देश शामिल हैं।
क्या आम जनता को इससे कोई फर्क पड़ेगा
अगर प्लास्टिक नोट भारत में लागू किए जाते हैं, तो आम लोगों को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उनके नोट जल्दी खराब नहीं होंगे। खासतौर पर छोटे मूल्य के नोट, जैसे 10, 20 और 50 रुपये के नोट, जो आमतौर पर ज्यादा घूमते हैं और जल्दी फट जाते हैं, वे ज्यादा समय तक चल सकेंगे। हालांकि, शुरुआत में लोगों को इसे अपनाने में थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि इसकी बनावट और अनुभव कागजी नोटों से अलग होगा।
सरकार का क्या कहना है
सरकार ने अभी तक यह साफ कर दिया है कि प्लास्टिक नोटों को लाने का कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। हालांकि, आरबीआई लगातार इस विषय पर रिसर्च कर रहा है और सरकार भी इस पर नजर बनाए हुए है। अगर भविष्य में यह योजना लागू होती है, तो इसे धीरे-धीरे और चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
प्लास्टिक नोट भारत के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकते हैं। अगर सरकार इसे लागू करती है, तो नकली नोटों की समस्या कम हो सकती है और भारतीय मुद्रा ज्यादा टिकाऊ बन सकती है। हालांकि, अभी तक इस पर कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया गया है, लेकिन अगर भविष्य में ऐसा होता है, तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था में एक नई शुरुआत हो सकती है।
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