EMI Bounce – आजकल लोन लेना आम बात हो गई है। घर, गाड़ी, बिजनेस या फिर किसी और जरूरत के लिए लोग आसानी से बैंक से लोन ले लेते हैं। हालांकि, कई बार आर्थिक तंगी, बिजनेस में घाटा या अन्य कारणों से लोग ईएमआई नहीं चुका पाते, जिससे बैंक उन पर सख्त कार्रवाई करने लगते हैं।
लेकिन क्या बैंक को किसी भी ग्राहक के खिलाफ कठोर कदम उठाने का अधिकार है? क्या वे बिना किसी ठोस वजह के लोन डिफॉल्टर के खिलाफ LOC (Look Out Circular) जारी कर सकते हैं? इन सभी सवालों का जवाब हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट के एक बड़े फैसले में दिया गया है, जिसमें कोर्ट ने कहा कि सिर्फ लोन डिफॉल्ट की वजह से किसी के खिलाफ LOC जारी नहीं किया जा सकता।
क्या होता है LOC (Look Out Circular)
LOC एक सरकारी प्रक्रिया होती है, जिसके तहत किसी भी व्यक्ति को विदेश यात्रा से रोका जा सकता है। आमतौर पर यह आपराधिक मामलों, टैक्स चोरी, और देश के खिलाफ किसी बड़ी साजिश में शामिल लोगों पर लगाया जाता है। लेकिन हाल के कुछ सालों में बैंकों ने लोन न चुका पाने वाले कर्जदारों के खिलाफ भी LOC जारी करवाना शुरू कर दिया था, जिससे उन्हें विदेश जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने हालिया फैसले में कहा कि सिर्फ लोन डिफॉल्ट की वजह से किसी के खिलाफ LOC जारी नहीं किया जा सकता। अगर लोन न चुकाने वाले व्यक्ति पर कोई आपराधिक केस नहीं है, तो बैंक उसे विदेश यात्रा से नहीं रोक सकते। बैंकों को किसी भी कर्जदार के खिलाफ LOC जारी करने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
बैंक सीधे कर्जदार की स्वतंत्रता पर रोक नहीं लगा सकते, क्योंकि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कैसे आया यह मामला कोर्ट में
दरअसल, यह फैसला एक याचिकाकर्ता के मामले में आया, जिसने 2013 में दो कारों के लिए लोन लिया था।
- पहली कार के लिए 13 लाख रुपये और दूसरी कार के लिए 12 लाख रुपये का लोन लिया गया।
- कुछ समय बाद आर्थिक तंगी की वजह से लोन की EMI चुकाना बंद कर दिया।
- बैंक ने कई बार नोटिस भेजा, लेकिन जब भुगतान नहीं हुआ तो बैंक ने याचिकाकर्ता के खिलाफ LOC जारी करवा दिया।
- जब यह मामला हाईकोर्ट पहुंचा, तो याचिकाकर्ता ने कहा कि वह जांच में सहयोग करने को तैयार है और अदालत में उपस्थित भी रहेगा।
कोर्ट ने इस दलील को सही माना और कहा कि बैंकों को कर्जदारों के मौलिक अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।
अब लोन न चुकाने पर क्या होगा
अगर आप समय पर लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है। बैंक आपके खिलाफ LOC नहीं लगा सकता, लेकिन कुछ कानूनी प्रक्रिया जरूर लागू हो सकती हैं—
- बैंक सबसे पहले आपको कई नोटिस भेजेगा और आपसे संपर्क करने की कोशिश करेगा।
- अगर आप फिर भी लोन नहीं चुकाते हैं, तो आपका केस NPA (Non-Performing Asset) घोषित कर दिया जाएगा।
- बैंक आपकी क्रेडिट स्कोर खराब कर सकता है, जिससे आपको भविष्य में लोन लेने में दिक्कत होगी।
- बैंक आपकी संपत्ति जब्त करने की कोशिश कर सकता है अगर लोन बहुत बड़ा है।
लोन न चुकाने वालों को क्या करना चाहिए
अगर आप किसी वजह से लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो तुरंत बैंक से संपर्क करें और उन्हें अपनी स्थिति के बारे में बताएं। कुछ महत्वपूर्ण बातें—
- लोन पुनर्गठन (Loan Restructuring) का विकल्प चुनें:
- बैंक से निवेदन करें कि आपकी EMI कम कर दी जाए या आपको कुछ महीनों का समय दिया जाए।
- Settlement का रास्ता अपनाएं:
- अगर आप पूरे लोन का भुगतान नहीं कर सकते, तो बैंक के साथ बातचीत करके सस्ती दर पर समझौता (settlement) कर सकते हैं।
- कानूनी सलाह लें:
- अगर बैंक आप पर अनावश्यक दबाव बना रहा है, तो तुरंत किसी कानूनी विशेषज्ञ से संपर्क करें।
इस फैसले से किन लोगों को राहत मिलेगी
- जो लोग ईमानदार हैं, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से लोन नहीं चुका पा रहे।
- जिनके खिलाफ बैंक ने बिना किसी ठोस वजह के LOC जारी किया है।
- जो नौकरी या बिजनेस के लिए विदेश जाना चाहते हैं, लेकिन लोन डिफॉल्ट की वजह से रोके गए हैं।
क्या इस फैसले से बैंकों को नुकसान होगा
यह कहना गलत होगा कि इससे बैंकों को बहुत बड़ा नुकसान होगा। बैंकों के पास NPA की वसूली के कई और तरीके हैं, लेकिन बिना किसी आपराधिक मामला दर्ज किए किसी की स्वतंत्रता को बाधित करना गलत है।
दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए राहत की खबर है, जो किसी कारणवश लोन नहीं चुका पा रहे थे और उन पर गलत तरीके से LOC जारी कर दिया गया था।
इस फैसले से यह साफ हो गया कि—
- लोन न चुका पाने की वजह से कोई भी बैंक किसी को विदेश जाने से नहीं रोक सकता।
- बैंकों को हर कदम उठाने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
- लोनधारकों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना चाहिए ताकि वे गलत कार्रवाई से बच सकें।
अगर आप लोन चुका नहीं पा रहे हैं, तो बैंक से संपर्क करें, समझौते का रास्ता अपनाएं, और कानूनी विशेषज्ञ की सलाह लें। सबसे जरूरी बात— अपने मौलिक अधिकारों को जानें और उनका सम्मान करें!
Disclaimer: यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। हम इसकी पूर्णता या सटीकता की गारंटी नहीं देते, कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।